ऑस्ट्रेलिया की 'ट्रंप समस्या' चुनाव हारने के बाद भी बनी हुई है – अब असली चुनौती शुरू हुई है

ऑस्ट्रेलिया की 'ट्रंप समस्या' चुनाव हारने के बाद भी बनी हुई है – अब असली चुनौती शुरू हुई है

सिडनी, 17 मई: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विचारधारा यानी 'ट्रंपिज्म' का असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा। इसका प्रभाव अब ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में भी गहराई से देखा जा रहा है। हाल ही में हुए चुनावों में लिबरल पार्टी की हार के बावजूद यह विचारधारा पार्टी के भीतर और उसके गठबंधन में जड़ें जमाए हुए है।

ऑस्ट्रेलियाई लिबरल पार्टी अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां उसे तय करना है कि वह ट्रंप की विभाजनकारी राजनीति से कैसे दूरी बनाए, जबकि उसके अपने गठबंधन सहयोगी लगातार उसी राह पर चलते नजर आ रहे हैं। पार्टी को एक ओर अपने पारंपरिक समर्थकों को संतुष्ट रखना है, तो दूसरी ओर आधुनिक, बहुसांस्कृतिक और प्रगतिशील ऑस्ट्रेलिया की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लिबरल पार्टी के भीतर अब भी कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं जो ट्रंप की शैली – झूठे प्रचार, साजिश के सिद्धांतों और संस्थानों पर हमला – को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति पार्टी की छवि और दीर्घकालीन राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरे का संकेत हो सकती है।

ट्रंप के समर्थकों के साथ सहानुभूति दिखाना अब ऑस्ट्रेलिया में एक राजनीतिक जोखिम बन चुका है। हालांकि कुछ रूढ़िवादी मतदाता इसे ‘स्पष्टवादिता’ और ‘देशभक्ति’ के रूप में देखते हैं, वहीं मुख्यधारा के नागरिकों और युवाओं के बीच इस सोच को अब नकारात्मक दृष्टि से देखा जा रहा है।

लिबरल पार्टी की नई रणनीति क्या होगी, यह आने वाले समय में साफ होगा। लेकिन इतना तय है कि अगर पार्टी ट्रंपिज्म से खुद को अलग नहीं कर पाई, तो वह न सिर्फ चुनावी हारों का सामना करती रहेगी, बल्कि अपनी पहचान भी खो देगी।