वेटिकन सिटी – हाल ही में निर्वाचित पोप लियो XIV ने समलैंगिक विवाह, गर्भपात और इच्छामृत्यु जैसे संवेदनशील विषयों पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए चर्च की पारंपरिक नीतियों को दोहराया है। अमेरिका में जन्मे 69 वर्षीय रोबर्ट प्रेवोस्ट, जो अब पोप लियो XIV के नाम से जाने जाएंगे, 8 मई को पोप फ्रांसिस के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त हुए हैं। वे कैथोलिक चर्च के पहले अमेरिकी मूल के सर्वोच्च धर्मगुरु बने हैं।
संत पीटर बेसिलिका में वेटिकन कूटनीतिक प्रतिनिधियों के साथ पहली बैठक में उन्होंने पारिवारिक मूल्यों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि "परिवार की नींव एक पुरुष और एक महिला के स्थायी संबंध पर आधारित होती है।" इस बैठक का मुख्य उद्देश्य शांतिपूर्ण समाज निर्माण में सरकारों की भूमिका को रेखांकित करना था।
वेटिकन द्वारा जारी किए गए उनके लिखित भाषण के अनुसार, पोप लियो XIV ने कहा कि LGBTQ+ समुदाय के लोग चर्च में स्वागत योग्य हैं, लेकिन कैथोलिक सिद्धांत के अनुसार समलैंगिक संबंध "स्वाभाविक रूप से विकृत" माने जाते हैं।
गर्भपात और इच्छामृत्यु को उन्होंने आज की "फेंकने की संस्कृति" (throwaway culture) का परिणाम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि अजन्मे शिशु और बुजुर्ग – दोनों ही ईश्वर की रचना हैं और उन्हें गरिमा मिलनी चाहिए।