सिडनी और अन्य प्रमुख शहरों के कई इलाकों में रहने वाले लोग लगातार बढ़ रही गाड़ियों की रफ्तार से परेशान हैं। उनका कहना है कि सड़क पर तेज़ दौड़ती गाड़ियां उन्हें घरों में कैद होकर रहने को मजबूर कर रही हैं। न केवल बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, बल्कि पैदल चलने वाले सामान्य नागरिक भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
स्थानीय काउंसिलों ने अब इस समस्या को हल करने के लिए नई योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। इनमें गति सीमा घटाने, सड़क डिज़ाइन में बदलाव और निगरानी कैमरों की संख्या बढ़ाने जैसे विकल्प शामिल हैं।
हालांकि, इन प्रस्तावों का कुछ लोगों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि यदि अचानक नियम बदले जाते हैं, तो इससे "भारी भ्रम" उत्पन्न होगा और अनजाने में अधिक लोग चालान भुगतने पर मजबूर हो जाएंगे।
काउंसिलों का तर्क है कि सड़क सुरक्षा सर्वोपरि है और रफ्तार पर नियंत्रण से दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। सरकार और स्थानीय निकाय इस समय जनता से सुझाव मांग रहे हैं ताकि भविष्य की योजनाएं ज़मीनी हकीकत के अनुसार तैयार की जा सकें।
निष्कर्ष:
गाड़ियों की तेज़ रफ्तार से परेशान आम जनता अब काउंसिल की ओर देख रही है, जो इस समस्या का स्थायी हल निकालने का प्रयास कर रही है — हालांकि इसके लिए सामाजिक जागरूकता और सहयोग दोनों ज़रूरी होंगे।