टाटा ग्रुप के सबसे काले दिनों में से एक: एयर इंडिया हादसे पर चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन का भावुक पत्र

टाटा ग्रुप के सबसे काले दिनों में से एक: एयर इंडिया हादसे पर चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन का भावुक पत्र

एयर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। इस दर्दनाक हादसे में 241 लोगों की जान चली गई, जबकि एकमात्र यात्री चमत्कारी रूप से बच गया। अब टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने अपने सहकर्मियों को एक भावुक पत्र लिखा है, जिसे टाटा समूह के "सबसे काले दिनों में से एक" बताया गया है।

चंद्रशेखरन ने लिखा,
"यह हमारे समूह के इतिहास के सबसे दर्दनाक क्षणों में से एक है। AI-171 फ्लाइट में हमारे कई सहकर्मी, क्रू मेंबर्स और यात्रियों की दुखद मृत्यु से हम सभी स्तब्ध और शोक में हैं। इस मुश्किल घड़ी में हम मृतकों के परिवारों के साथ खड़े हैं।"

उन्होंने बताया कि टाटा ग्रुप और एयर इंडिया की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में स्थानीय प्रशासन और सरकार के संपर्क में हैं। संकट के इस समय में यात्रियों के परिवारों की सहायता और समर्थन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

एयर इंडिया की ओर से आधिकारिक बयान
एयर इंडिया ने भी एक बयान जारी कर कहा कि यह एक अत्यंत दुखद घटना है और वे सभी प्रभावित परिवारों के साथ पूरी संवेदनशीलता से संपर्क में हैं। एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है ताकि परिजन ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकें।

दुर्घटना का कारण
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, टेकऑफ के समय विंग फ्लैप्स की गलत कॉन्फ़िगरेशन इस हादसे का कारण हो सकती है। डीजीसीए और अन्य विशेषज्ञ टीमों ने जांच शुरू कर दी है।

जनता और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस फ्लाइट में सवार थे और उनका भी निधन हो गया।

एकमात्र जीवित यात्री का बयान
हादसे में बचने वाले एकमात्र यात्री, ब्रिटिश नागरिक विश्वाशकुमार रमेश, फिलहाल अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाजरत हैं। उन्होंने इसे एक चमत्कार बताया और कहा कि उन्हें अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि वह ज़िंदा हैं।


समापन
यह हादसा न केवल टाटा ग्रुप बल्कि पूरे भारत के लिए गहरा झटका है। टाटा समूह ने जिस संवेदनशीलता और तत्परता से स्थिति को संभाला है, वह उसकी मूल्य-आधारित नेतृत्व शैली का प्रमाण है। चंद्रशेखरन का पत्र न केवल एक कॉरपोरेट प्रतिक्रिया है, बल्कि एक परिवार के मुखिया की भावनात्मक अपील भी है।