नई दिल्ली:
भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब ‘अमेज़न ओबीजान’ नामक बंगाली फिल्म ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाई। अमेज़न के खतरनाक और रहस्यमयी जंगलों में एनाकोंडा, तेंदुए, मगरमच्छ और घने आदिवासी इलाकों के बीच शूट की गई यह फिल्म बाहुबली जैसी मेगाबजट फिल्मों को भी पीछे छोड़ने में कामयाब रही है।
कम बजट, बड़ी कामयाबी
2017 में रिलीज़ हुई ‘अमेज़न ओबीजान’ का बजट केवल ₹20 करोड़ था, लेकिन इसने बॉक्स ऑफिस पर ₹48.63 करोड़ की शानदार कमाई की। यह फिल्म अब तक की पहली भारतीय और दुनिया की आठवीं फिल्म बनी, जिसकी शूटिंग अमेज़न के घने जंगलों में की गई।
कहानी जो रोमांच से भरपूर है
यह फिल्म प्रसिद्ध लेखक और निर्देशक कमलेश्वर मुखर्जी द्वारा निर्देशित है और श्री वेंकटेश फिल्म्स के बैनर तले श्रीकांत मोहता और महेंद्र सोनी द्वारा निर्मित की गई। ‘अमेज़न ओबीजान’, साल 2013 में आई हिट फिल्म ‘चंदेर पहर’ का सीक्वल है। फिल्म की कहानी साहसी युवा शंकर की है, जो एक रहस्यमयी महिला और उसके पिता के साथ एल डोराडो – सोने के शहर – की तलाश में अमेज़न के जंगलों की रोमांचक यात्रा पर निकलता है।
दृश्य और लोकेशन बने मुख्य आकर्षण
फिल्म में प्राकृतिक सुंदरता और खतरनाक स्थितियों को इतनी बारीकी और सजीवता से दर्शाया गया है कि दर्शक खुद को जंगल की गहराइयों में महसूस करने लगते हैं। एनाकोंडा, पैंथर और मगरमच्छों के साथ लाइव शूट किए गए सीन्स ने फिल्म को विशेष बनाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना दिलाई।
बाहुबली से आगे
जहां बाहुबली जैसी फिल्में भव्य सेट्स और ग्राफिक्स पर आधारित थीं, ‘अमेज़न ओबीजान’ ने वास्तविक लोकेशन और साहसिक फिल्म निर्माण से एक नई मिसाल कायम की। यह फिल्म तकनीकी दृष्टि से भी उन्नत थी और इसकी सिनेमैटोग्राफी ने आलोचकों और दर्शकों दोनों को प्रभावित किया।
निष्कर्ष
अमेज़न के जंगलों में फिल्माना एक जोखिमभरा और महंगा काम होता है, लेकिन ‘अमेज़न ओबीजान’ की टीम ने इसे सच्चाई में बदला और भारतीय सिनेमा को वैश्विक मानचित्र पर गौरव दिलाया। इस फिल्म की सफलता ने साबित कर दिया कि भारतीय फिल्में अब किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटतीं, चाहे वो एनाकोंडा हो या बाहुबली!