'नो किंग्स' प्रदर्शन ने अमेरिका में पकड़ी रफ्तार, ट्रंप सैन्य परेड का आनंद लेते रहे

'नो किंग्स' प्रदर्शन ने अमेरिका में पकड़ी रफ्तार, ट्रंप सैन्य परेड का आनंद लेते रहे

अमेरिका में शनिवार को उस वक्त विरोध की लहर दौड़ गई जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने 79वें जन्मदिन के मौके पर राजधानी वॉशिंगटन डीसी में एक भव्य सैन्य परेड का आनंद ले रहे थे। इस परेड के विरोध में देशभर में 'नो किंग्स' (No Kings) नाम से व्यापक प्रदर्शन हुए, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया।

सीएटल, न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजेलिस और अटलांटा जैसे प्रमुख शहरों में नागरिक सड़कों पर उतर आए और लोकतंत्र की रक्षा, शक्ति के केंद्रीकरण के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अमेरिकी लोकतंत्र किसी एक व्यक्ति या नेता की सत्ता-प्रदर्शनी का मंच नहीं बन सकता।

सीएटल में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता केन मेडली ने कहा, "हम राजा नहीं चाहते, हम संविधान के तहत बराबरी और स्वतंत्रता चाहते हैं। यह परेड सिर्फ दिखावा है – हम अमेरिका को सत्ता के झूठे गौरव से मुक्त देखना चाहते हैं।"

इस विरोध प्रदर्शन की एक खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं, वयोवृद्धों और अलग-अलग नस्लों के लोगों ने एकजुटता दिखाई। लोगों ने हाथों में 'No Kings', 'Power to the People' और 'This is Not a Monarchy' जैसे पोस्टर थामे हुए थे।

वहीं, दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप वाइट हाउस के पास विशेष मंच पर बैठे सैन्य शक्ति प्रदर्शन का आनंद लेते रहे। परेड में थल, वायु और नौसेना की टुकड़ियां शामिल थीं और आधुनिक टैंक व फाइटर जेट्स का भी प्रदर्शन हुआ।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की यह परेड और उसके खिलाफ उभरे जनविरोध से अमेरिका में सत्ता और लोकतंत्र के बीच गहराते अंतरविरोध की झलक मिलती है।

इन प्रदर्शनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी नागरिकों का बड़ा वर्ग सत्ता के व्यक्तिगत प्रदर्शन और ‘राजसी’ अंदाज़ के विरोध में खड़ा है।