ओटावा/लंदन – ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय इस सप्ताह एक ऐतिहासिक लेकिन बेहद संक्षिप्त अंतरराष्ट्रीय दौरे पर निकल रहे हैं, जिससे राजनैतिक और कूटनीतिक हलकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। यह यात्रा जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही असामान्य भी, जिसे खुद बकिंघम पैलेस ने “डिप्लोमैटिक टाइटरोप” यानी राजनयिक संतुलन की कठिन परीक्षा बताया है।
राजा चार्ल्स और क्वीन कैमिला सोमवार को कनाडा की राजधानी ओटावा पहुंचेंगे, जहां वह 1977 के बाद पहले ब्रिटिश सम्राट बनेंगे जो औपचारिक रूप से कनाडा की संसद का उद्घाटन करेंगे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनका पूरा दौरा मात्र 20 घंटे का होगा – यानी वे ज़मीन पर जितने समय रहेंगे, लगभग उतना ही समय वे विमान में बिताएंगे (लगभग 15 घंटे की उड़ान)।
राजा का यह पहला कनाडा दौरा है बतौर सम्राट, लेकिन जिस तरह से यह दौरा अचानक और इतने कम समय के लिए तय किया गया है, उससे यह सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यह किसी स्वास्थ्य समस्या या राजनीतिक दबाव का संकेत तो नहीं।
ब्रिटेन की मीडिया में पहले भी किंग चार्ल्स की सेहत को लेकर अटकलें लगती रही हैं, और अब इतनी महत्वपूर्ण यात्रा को ‘कम समय में निपटाने’ की योजना पर कई विशेषज्ञ और आलोचक सवाल उठा रहे हैं।
इस यात्रा के दौरान राजा पारंपरिक गतिविधियों जैसे वृक्षारोपण, प्रधानमंत्री से मुलाकात, और औपचारिक भाषण करेंगे। लेकिन कनाडा में यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब वहां अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा “51वें राज्य” की चर्चाओं ने माहौल को और अधिक संवेदनशील बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि बेहद रणनीतिक है, जिसका उद्देश्य कनाडा में राजशाही की भूमिका को मज़बूती देना है – हालांकि यह सब कुछ सिर्फ 20 घंटों में करना निश्चित ही एक चुनौती है।
राजा चार्ल्स की यह यात्रा कई मायनों में एक संकेत हो सकती है – या तो बदलती अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं का, या फिर उनके स्वास्थ्य और कामकाज की सीमाओं का। फिलहाल तो यह तय है कि दुनिया भर की नजरें उनके इस “सामान्य से हटकर” कदम पर टिकी हुई हैं।